आन्ध्र महासागर के नितल उच्चावच की बनावट का वर्णन करें। अथवा, संक्षेप में ‘आन्ध्र महासागर की तली के उच्चावच’ (Bottom Relief of oceans) पर एक संक्षिप्त नोट तैयार कीजिए। Ans. पश्चिम में उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका और पूर्व में यूरोप तथा अफ्रीका के मध्य

स्थित आन्ध्र महासागर 820 लाख वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्र में विस्तृत है, जो कि समस्त विश्व के क्षेत्र का 1/6 भाग तथा प्रशांत महासागर के क्षेत्रफल का 1/2 भाग है। इसका आकार आंग्ल भाषा के S अक्षर के समान है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि प्रारम्भ में उ० तथा द० अमेरिका, यूरोप तथा अफ्रीका से … Read more

भूमण्डलीय तापन (भूमंडलीय ऊष्मीकरण) से आप क्या समझते हैं? वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभाव की विवेचना करें। अथवा, वैश्विक ऊष्मा के कारणों का परीक्षण करें।

भूमण्डलीय तापन से तात्पर्य वायुमण्डलीय एवं धरातलीय तापमान में वृद्धि एवं भूमण्डलीय विकिरण सन्तुलन में परिवर्तन तथा उसके कारण स्थानीय, प्रादेशिक एवं वैश्विक स्तर पर जलवायु में परिवर्तन होना है। पृथ्वी तथा वायुमण्डल के विकिरण सन्तुलन पर पड़ने वाले हरित गृह गैसों के प्रभावों को विकिरण संवर्द्धन कहते हैं। भूमण्डलीयकरण तापन का गहराता संकट विश्व … Read more

कोपेन द्वारा प्रस्तुत जलवायु के वर्गीकरण का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। अथवा, कोपेन के वायु राशि के वर्गीकरण संबंधी योजना का परीक्षण कीजिए।

World map showing Köppen climate classification

‘बहुत लम्बे समय तक किसी क्षेत्र के मौसम की स्थितियों का वर्णन जलवायु को निर्धारित करता है। वस्तुतः जलवायु से तात्पर्य सारे मौसमी तत्त्वों के औसत मान पर आधारित किसी स्थान को दीर्घकालीन वायुमण्डलीय दशाओं से है। किसी स्थान विशेष पर प्रायः तापमान, वायुदाब और आर्द्रता चदलते रहते हैं जबतक नित्यप्रति बदलने वाला किसी स्थान … Read more

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए।अथवा, जलवायु परिवर्तन (Climatic change) के विभिन्न प्रमाणों (कारणों) का उल्लेख करें।

जलवायु परिवर्तन-जलवायु सनातन सत्य है। जलवायु में परिवर्तन के कारग विशालकाय जीव जैसे डिनोसोर आदि जिनकी इस पृथ्वी पर बहुतायत थी आज उपलब्ध नहीं है। इसी प्रकार राजस्थान के मरु प्रदेश में किसी समय हिमाच्छादन था। वातावरण को गैसों धूलकणे तथा जलवाष्म की मात्रा में आये परिवर्तन और रूप में र्धरातलीय भौतिक दशाओं के परिवर्तन … Read more

वायुराशियों (Air Masses) की परिभाषा और वर्गीकरण कीजिए। अथवा, वायुपुंज के विभाजन को प्रस्तुत करें। अथवा, वायु राशियों की उत्पत्ति की परिस्थितियों एवं मुख्य प्रकारों का वर्णन कीजिए।

वायु राशि वायुमण्ड का वह सघन भाग है जो भौतिक गुणों के कारण क्षैतिज रुप में एक समान होता है। वायु राशि के इस सघन भाग का गुण है इसकी तापमान और आर्द्रता की अवस्था में समानता। अपनी पुस्तक ‘Weather Analysis and Forecasting’ में Petterson ने वायु-राशि को इस प्रकार परिभाषित किया है- “वायु-राशि वायु … Read more

तटीय प्रदेशों (Coastal areas) में स्थलाकृतिक आकृतियों के विकास का विवरण दीजिए।अथवा, तटीय स्थलाकृति का विवरण दीजिए।

तटीय प्रदेशों में निम्नलिखित अपरदनात्मक स्थलाकृतिक आकृतियों का विकास होता (i) तटीय भृगु एवं गुफाएँ (Seacliff and Caves) लहरों द्वारा तटीय भागों की चट्टानों पर निरन्तर प्रहार एवं कटाव के कारण तट के ढाल भागों का ढाल और तेज होता जाता है। इससे वहाँ खड़े ढाल वाली चट्टानें बनती हैं। इन्हें हो तटीय भृगु कहते … Read more

अपरदन चक्र के संदर्भ में एल.सी. किंग की संकल्पना की विवेचना कीजिए।

पर्वतों से घिरे हुए बंद बेसिनों में ही डेविस का शुष्क चक्र लागू होता है। लेकिन संसार के विभिन्न मरुस्थलों में इससे भिन्न स्थलाकृक्ति मिलती है जहाँ डेविस का शुष्क चक्र विफल हो जाता है, क्योंकि इन प्रदेशों में पैडीमेन्टेशन की प्रक्रियाएँ अपरदन चक्र के पूर्ण करने में महान योग देती हैं। अतः दक्षिणी अफ्रीकी … Read more

सामान्य अपरदन चक्र (Normal cycle of erosion) के सम्बन्ध में डेविस के

सर्वप्रथम डेविस महोदय ने 1899 में भौगोलिक चक्र की संकल्पना का प्रतिपादन किया तथा बताया कि “भौगोलिक चक्र समय की वह अवधि है, जिसके अन्तर्गत एक उत्थित भूखण्ड अपरदन के प्रक्रम द्वारा प्रभावित हो कर एक आकृत्तिविहीन समतल मैदान में बदल जाता है।” इस तरह डेविस ने स्थलरूपों के विकास में चक्रीय पद्धति का अवलोकन … Read more